हिंद महासागर में बहुत जल्द ही तमिलनाडु के तट से कई किलोमीटर दूर करोड़ डालर के खजाने की बात सामने आई है। बेहद कीमती धातुओं से यह भरा खजाना हिंद महासागर में समुद्र तल से 6 किलोमीटर की आंतरिक गहराई में स्थित है।
चेन्नई के विभिन्न वैज्ञानिक एवं रिसर्च ने स्वदेशी माइनिंग मशीन वराह 1 को लेकर वहां पहुंचे। जिस इलाके में यह खाने धातु पाई गई है उसके 75000 वर्ग किलोमीटर के आसपास क्षेत्र भारत के अधिकार में है।इसकी खुदाई में मदद के लिए प्राइवेट सेक्टर की मदद भी ली जाएगी।
इस खनिज संपदा के लिए खुदाई का काम 4077 करोड रुपए के और संदीप के एक मशीन का हिस्सा है जिससे एक बड़े हिस्से को मंजूर केंद्रीय कैबिनेट के द्वारा पिछले हफ्ते ही किया गया। इस मंजूरी के तहत 2024-25 तक एक दीप माइनिंग सिस्टम को तैयार हो जाना है।
समुंदर के अंदर स्थित खजाने की खुदाई करने के लिए 6 किलोमीटर पनडुब्बी की मशीन को भेजने की व्यवस्था की गई है। जिसमें एक पायलट के साथ दो वैज्ञानिक भी होंगे। पहले चरण में ही इस मशीन के तहत 2832करोड रुपए का निश्चय किया गया है।
वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक समुद्र की सतह के नीचे करीब 38 करोड़ 10 पॉली मेट्रिक नोड्यूल्स मिलेंगे जिसमें विभिन्न तरह के खनिज भी हैं। जिसमे क्रमशः निकेल, कॉपर, कोबाल्ट और मैंगनीज पड़े हुए है। आंकड़ों के मुताबिक यह बताया गया है कि वह बहुत बड़ी मात्रा में लौह अयस्क भी मौजूद है।
सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस खनिज संपदा से काफी आए होने की संभावना है। आंकड़ा हनुमानता 45 100 करोड़ डॉलर से लेकर 18500 करोड डॉलर के बीच होने की संभावना है। पर मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस का इसमें कुछ अलग कहना हैं। उनके अनुमान से उस खजाने का औसतन कम से कम मूल्य 11 हजार करोड़ रुपये डॉलर का है। भारत द्वारा इस खनिज की खुदाई से चीन को बहुत बड़ी चपत लग सकती है।