हमारे देश के लोग अपने स्वाद को ले के काफी ध्यान देते हैं। एक बार जो स्वाद इनके जुबान पर चढ़ जाता है वो कभी भी हटता नहीं है। जो स्वाद के अच्छा लगता है हम हमज़गा उसे ही लेमे के लिए प्रयास करने लगते हैं। हम उसे अपने रोजाना की दिनचर्या में शामिल कर लेते हैं। इसी तरीके से अक्सर चाय के साथ में नमकीन का सेवन किया जाता है।
बाज़ार में कई फेमस ब्रांड उपलब्ध हैं लेकिन क्षेत्रीय इलाकों में ऐसा स्वाद है की चख कर तू कभी भूल नहीं सकता है। आज हम आपको ऐसी कंपनी की शुरुआत की कहानी बताने जा रहे हैं।
कंपनी का सफर
आपको बता देंगे अमित कुमार, अपूर्व कुमार और अरविंद मेहता नाम की तीन मित्रों ने साल 2002 में एक नमकीन की कंपनी शुरू हुई थी । जिसका के नाम था प्रताप नमकीन आज इस कंपनी के 4 कारखाने देश के ऊपर मौजूद है। बता दें कि इन चारों कारखानों से भारत की 24 राज्यों की 168 दो उसमें नमकीन की सप्लाई की जाती है । इतना लंबा सफर तय करने में प्रताप नमकीन को काफी संघर्ष एवं कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ।
एक आईडिया जिस ने बदल दी जिंदगी
बता दें कि इस प्रताप नमकीन कंपनी को खोलने का सबसे पहला सुझाव अमित कुमार का था। इन्होंने 10 वर्षों तक स्नेक्स कंपनी में काम किया था । हालांकि इससे पहले साल 2001 में मारने केमिकल बनाने का बिजनेस शुरू किया था।
लेकिन साल भर के अंदर ही इनके ऊपर से करोड़ो रुपए का कर्ज हो गया था। और इसकी वजह से अपना कारोबार बंद करना पड़ा था ।
इतना नुकसान झेलने के बाद साल 2002 में अमित ने अपने भाई अपूर्व और दोस्त अरविंद से मिले और एक नमकीन कंपनी शुरू करने के लिए सुझाव दिया। उनके दोस्त और भाई को भी यह सुझाव काफी पसंद आया । और उसके बाद तीनों ने मिलकर कि इंदौर में प्रताप नमकीन का एक कारखाना लगा कर शुरू कर दिया । इन लोगों ने मिलकर के 1500000 रुपए इकट्ठा किए अगर यह व्यापार नहीं चलता तो इनकी यह रकम भी 1500000 रुपए भी जाते।
बता दें कि इन तीनों दोस्तों ने रिस्क लेने का निर्णय किया। और प्रताप स्नैक्स की कंपनी शुरू होने के साथ ही इन्हें 20000 बॉक्स तैयार करने का ऑर्डर मिला था। धीरे-धीरे यह नेटवर्क इंदौर के स्थानीय उपभोक्ताओं तक पहुच गया। इस दौरान इन्हें काफी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़े। लेकिन इन तीनों ने अपनी कंपनी को शुरू रखा और इस मेहनत का नतीजा यह हुआ कि पहले ही वर्ष में कंपनी को ₹200000 का मुनाफा हुआ।
इसके बाद इस प्रताप स्नैक्स की डिमांड दूर-दूर तक बढ़ने लगी ।दूसरे साल इस कंपनी को ₹10000000 का मुनाफा हुआ और तीसरे साल या बढ़कर करके और अधिक हो गया।
येलो डायमंड से कमाया पैसा
आपको बता दें कि साल 2011 में इनकी कमाई आपकी अच्छी हो चुकी थी। इसकी पर इन तीनों ने खुद का ही एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट एस्टेब्लिश कर लिया । इस प्लांट की स्थापना होते ही इन्होंने अपने नए ब्रांड येलो डायमंड को प्रमोट किया और इनके सालाना टर्नओवर डेढ़ सौ करोड़ रुपए से भी अधिक हो गया ।
आपको बता दें कि आज यह लो डायमंड देश की नामी स्नेक की कंपनियों को भी बराबर की टक्कर दे रही है । येलो डायमंड ब्रांड billion-dollar ग्रुप में भी शामिल होने के लिए लाइन में आ चुका है। यह बात तो सच है कि मेहनत एवं परिश्रम कभी बेकार नहीं जाती।