दोस्तों! जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आजकल सरकारी काम के लिए हमें ऑफिस के न जाने कितने चक्कर लगाने पड़ते हैं। केवल एक हस्ताक्षर के लिए हमें महीनों दौड़ने पड़ जाते हैं और हमारे काम भी नहीं होते। आजकल सभी सरकारी कार्यालयों में नौकरशाह अपना प्रभाव बना कर बैठे हुए हैं। अपने पिता के इसी परेशानी को देखकर एक लड़की ने आईएएस ऑफिसर बंद कर दिखा दिया और आज वह पिता अपनी बेटी पर काफी गर्व करते नहीं थकते हैं।
हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र की रोहिणी भाजीभाकरे की जो एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता भी एक किसान हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा सरकारी विद्यालय से हुई थी और उन्होंने बड़े होकर सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में भी दाखिला पाया। इसके बाद वह यूपीएससी की परीक्षा की तैयारियों में जुट गई और उन्होंने कभी किसी कोचिंग की सहायता नहीं ली। उनका मानना था कि सरकारी विद्यालय में ही परिश्रमी एवं होनहार शिक्षक बहुत होते हैं, सरकारी विद्यालयों में केवल सुविधाओं की ही कमी होती है।
जब रोहिणी 9 वर्ष की थी तभी सरकार द्वारा कुछ योजनाएं जारी की गई थी और इसके बाद इसका लाभ उठाने के लिए इनके पिता को ऑफिसों के कई चक्कर लगाने पड़े थे।
अपने पिता को परेशान देखकर उन्होंने उनसे पूछा कि जनता की परेशानियों को दूर करने की जिम्मेदारी किसकी है? इसके बाद उनके पिता ने जिला कलेक्टर के बारे में बताया। बस इसके बाद ही रोहिणी ने अपने मन और मस्तिष्क में यह ठान लिया कि वह जिला कलेक्टर बनकर दिखाएंगी। इसके बाद वह कठिन परिश्रम करने के साथ अपनी पढ़ाई में जुट गई।
जब उन्होंने अपने पिता को इस लक्ष्य के बारे में बताया तो वह काफी खुश हुए और उन्होंने कहा कि जब भी तुम जिला कलेक्टर बन जाओगी तब जरूरतमंदों की सेवा करना और खूब तरक्की करना। अब वह अपने ही जिले में जिला कलेक्टर बन चुकी हैं। वह अब जरूरतमंदों की बेहद सेवा करती है ताकि उन्हें भटकना न पड़े जैसा उनके पिता को केवल एक हस्ताक्षर के लिए भटकना पड़ता था।
इसके अलावा रोहिणी विद्यालयों में भी स्वच्छता के प्रति विद्यार्थियों एवं अन्य लोगों को जागरूक करती हैं और एक स्वच्छ वातावरण के निर्माण में सहयोगी के रूप में काम कर रही हैं। रोहिणी ने महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने खुद के दम पर आईएएस ऑफिसर बन कर दिखा दिया और आज वह पूरे देश के लिए मिसाल बन चुकी हैं।