पति पत्नी का रिश्ता सबसे अनोखा और सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है। कहा जाता है कि पत्नी यदि चाहे तो पति का जीवन यमराज से भी छीन कर के वापस ला सकती है ।आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पत्नी ने अपने प्यार को जीवित रखने के लिए अपने पवित्र भावना को सभी के सामने पेश किया है । देखा जाता है कि अक्सर लोगों की मृत्यु के बाद उन्हें भुला दिया जाता है। लेकिन इस पत्नी ने अपने पति को भुला पाना आसान नहीं समझा और अपने पति को भगवान का दर्जा दे करके उसकी पूजा आराधना करने लगी ।
जी हां दोस्तों इस पत्नी ने अपने पति की याद में एक मंदिर का निर्माण करवाया है ,और रोजाना अपने पति की आराधना करती है। यह घटना आंध्र प्रदेश के पुतली की है। यहां रहने वाली एक महिला ने अपने स्वर्गवासी पति का अपने ही घर में एक बहुत ही भव्य मंदिर का निर्माण करवाया है ।बता दे इस महिला का नाम पद्मावती है और यह महिला रोजाना अपने इस मंदिर में अपने पति की पूजा करती है ।
बता दें कि यह मंदिर पूरी तरीके से संगमरमर का निर्मित है ।पद्मावती एक रूढ़िवादी परिवार से है और उन्होंने अक्सर यह देखा है कि उनकी मां उनके पिता की पूजा करती थी ।इसीलिए उन्होंने अपने पति के गुजर जाने के बाद उनकी याद में एक मंदिर का निर्माण करवाया है। और अब अपने पति को भगवान मानकर के उनकी पूजा किया करती है। आपको बता दें कि 4 वर्ष पहले एक दुर्घटना के अंतर्गत इनके पति की मृत्यु हो गई है पति के गुजर जाने के बाद पद्मावती के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने अकेले हर मुसीबत का सामना किया लेकिन कभी भी हिम्मत नहीं हारी ।
पद्मावती ने अपने परिवार एवं अपने बच्चों को संभाला पद्मावती बताती है कि मृत्यु के बाद भी उनके पति उनके सपने में आए थे और उन्हें मंदिर बनाने के लिए आदेशित किया था। जिसके बाद पद्मावती ने अपने घर में ही अपने स्वर्गवासी पति का भव्य मंदिर निर्माण करवाया है ।और रोजाना वहां पर अपने पति की आराधना करती है। बता दें कि पद्मावती अपने पति के पुण्य तिथि एवं जन्मदिन के अवसर पर यहां खास पूजा का आयोजन करती है और इस मौके पर वह असहाय एवं गरीब लोगों को भोजन भी करवाती है।
इसके साथ ही साथ वह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की सहायता भी करती है इस तरह के कार्यक्रम को करने के लिए इनके बेटे एवं इनके पति के मित्र इनकी सहायता करते हैं। बता दे कि पद्मावती के बेटे यह कहते हैं कि वह बहुत भाग्यशाली है कि उन्हें ऐसे माता-पिता का सानिध्य प्राप्त हुआ।